Tuesday, August 23, 2022

मैं लक्ष्य का स्वप्न हूं

 रातों की नींद उड़ा दूँ
दिल के सारे गम मिटा  दूँ
संघर्षों का डर हटा  दूँ
जीने की नई कला सिखा  दूँ
मैं लक्ष्य का स्वप्न हूं
देख सकोगे मुझको?
नींद नहीं, बस एक मन चाहिए
दे सकोगे मुझको?

बेगानी सी जिंदगी में
एक नया उद्देश्य बना दूँ
अनगिनत राहें जीवन की
मैं तुम्हें निर्णय लेना सिखा दूँ
लोग क्या कहेंगे का डर मिटा दूँ
जीने की नई कला सिखा दूँ
मैं लक्ष्य का स्वप्न हूं
देख सकोगे मुझको?

Monday, August 22, 2022

जिंदगी की चाहत

 जिंदगी की चाहत
जानना परखना समझ जाना
खुद से खुद का रिश्ता जोड़ जाना
थोड़ा बदल जाना
कुछ नया सीख जाना
बंद तालाब नहीं
नदी बनकर बहते जाना
विचलित मन नहीं
प्रश्नवाच्य समझ को सारथी बनाना
कोरे कागज पर
दो शब्द, खुद के लिख जाना
बिना संकोच बिना डर
एक नई कविता बनाना
नए लक्ष्यों से
जीवन को सजाना
कुछ कर जाना
कुछ लिख जाना
खुद से खुद का रिश्ता जोड़ जाना

मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी हो

 मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी हो
टूटने के लिए बनी होती है
खुशी के छोटे-छोटे पलों की तरह
वो भी छोटे-छोटे टुकड़ों से जुड़ी होती है
समय और समझ का फेर होता है
मुश्किलों को तोड़ना भी एक खेल होता है

लक्ष्य पर रख नजर
और बस बढ़ता चल
कोई नहीं यहां तेरे सिवा
जो तुझे रोक सकता है
कर खुद पर विश्वास
तू हर मुश्किल को तोड़ सकता है

दुनिया चाहे जो भी कहे

 दुनिया चाहे जो भी कहे 

 पतवार तो है चलाना
बीच मझधार में
हमें नहीं है डूब जाना

कश्ती छोटी मेरी
टूटा पतवार भी
दुनिया के तानों की
आई बाढ़ भी
कल काली  रात
हुई पत्थर की बरसात भी

 लक्ष्य ऊंचा मेरा
पतवार तो है चलाना
दुनिया चाहे जो भी कहे
हमें नहीं है रुक जाना"

मैं हूँ लक्ष्‍य का खोजी ,

 मैं हूँ लक्ष्‍य का खोजी ,
सौ नदियों का पानी रोज निहाराता हूँ,
संघर्ष का शौकीन,
 दरिया मे खुद को डूबोता हूँ,
 तुम हँसो बरसाओ ताने हज़ार ,
मैं तो अपने हाल पे खुश रहता हूँ ,
मैं हूँ लक्ष्‍यका खोजी ,
 पल पल हर कन मे उसको ढूंढता हूँ,
 पाना नहीं उसको आसान ,
पर कोशिश पूरी मैं करता हूँ ,
जखम सुलगते रहे जिस्म पर अनगिनत ,
 हौसला समंदर का लेकर चलता हूँ ,
 मैं हूँ लक्ष्‍यका खोजी ,
 लक्ष्य पा कर ही चैन लेता हूँ |"

Wednesday, August 10, 2022

अपना लक्ष्‍य बना - Hindi poem

 

एक पत्थर
रास्ते मे पड़ा
ठोकर मारी
चला
थोड़ी दूर तक |

हे सखी!
कन्हि तेरा जीवन भी ऐसा तो नही,
न बन कंकड़
चल
अभी
अपना लक्ष्‍य बना |

दुख
दूसरों से ना ले,
संघर्ष
खुद से खुद का बना,
तलाश
नयी राहें अपनी,
चल
अभी
अपना लक्ष्‍य बना |

हे प्रात की शीतल हवा - Hindi poem

 हे प्रात की शीतल हवा, तू मुझमे नया साहस जगा दे
मेरे जीवन के कण कण को, तू अपने सुगंध से महका दे
सूखे पत्तों सा मै कभी गिर जाऊ, तो मुझे मंज़िल की ओर बहा दे,
मेरे हर्दय कम्पन मे तू अपनी, मधुर गीतों का राग भरा दे
मुझे लक्ष्‍य को पाना सीखा दे, संघर्ष मे टिक जाना सीखा दे
रात बीती बड़ी घनी, तू उसका दर्द भी मिटा दे

अपनों को मनाना सीखा दे,  गैरों को छोड़ जाना सीखा दे,
हे प्रात की शीतल हवा, तू मुझे जिंदगी जीना सीखा दे.

जिंदगी जीने का तरीका - Hindi poem

 हर काम करने का एक अलग तरीका भी होता है
लक्ष्‍य पाने का और भी बेहतरीन तरीका होता हैं,
हार ना मान लेना तुम राहों मे चलते हुए
रास्ता बंद हो तो क्या, उसे खोलने का तरीका होता है

मंज़िल पाने के रास्ते होते नहीं आसान
हर मोड़ पर हिम्मत बाँधने का तरीका होता है
रुक, सोच, सिख,  नये हल निकाल,
जिंदगी जीने का बस यही एक तरीका होता है 

क्या तूने अपना लक्ष्‍य जाना - Hindi poem

 हे रे सखी,

क्या तूने अपना लक्ष्‍य जाना,

फुदकती रहती है तू चिड़िया सी,
कभी ऊपर कभी नीचे,
चहकती है मोरनी जैसी
कभी इधर कभी उधर,
मिलती कभी इस डाल से,
तो कभी जाती उस डाल पे,
जाना कॅन्हा है तुझे,
क्या तूने कभी जाना,

थोड़ा तू विश्राम कर,
स्वयं से तू बात कर,
खुद से अपनी पहचान कर,
संघर्ष से ना कर नफ़रत,
खुद से वार्तालाप कर,

ख़ालीपन जीवन का,
बहुत घचोटता है,
बाहर नही कोई अपना,
हर कोई छलता है,
तू बन खुद का सहारा,
खुद से खुद का सम्मान कर,
लक्ष्‍य पर चल तू हो अडिग,
खुद की जिंदगी का मान कर.

हे रे सखी,
मेरी बात पे तू थोड़ा विचार कर,
अब भी है समय बाकी,
तू थोड़ा तो ख्याल कर.

अपना लक्ष्‍य खोज रहा है - Hindi poem

 ये कौन फकीर है
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इन्हा अपना लक्ष्‍य खोज रहा है

कभी दिल जलाओ , कभी दिल दुखाओ
आजकल यही शहरे ए आम है,
समझाया लोंगो ने कई बार इसे,
जिंदगी बिताना ही इन्हा बड़ा काम है

तो  ये क्या ढूंढता फिर रहा है  
ये कौन फकीर है
इन्हा अपना लक्ष्‍य खोज रहा है