लक्ष्य खोजने निकला हूँ मैं
मिल जाए जो काम
वो कर जाता हूँ मैं
बड़ों के काम सीख जाता हूँ मैं
दिल मैं है एक आग
कुछ कर जाने की
इसलिए
हर मोड़ पे
अपने निशान छोड़ जाता हूँ मैं
लक्ष्य खोजने निकला हूँ मैं
खुद को परखने निकला हूँ मैं
गर्मी के धूप मे, खुद को,
सेकने निकला हूँ मैं
बिना संघर्ष,
मुझे नही आराम
जुनून है
कर जाने का कोई काम
नज़र है मेरी आसमान पे
इसलिए सिख जाता हूँ
तुम्हारे भी काम
No comments:
Post a Comment