Monday, August 22, 2022

दुनिया चाहे जो भी कहे

 दुनिया चाहे जो भी कहे 

 पतवार तो है चलाना
बीच मझधार में
हमें नहीं है डूब जाना

कश्ती छोटी मेरी
टूटा पतवार भी
दुनिया के तानों की
आई बाढ़ भी
कल काली  रात
हुई पत्थर की बरसात भी

 लक्ष्य ऊंचा मेरा
पतवार तो है चलाना
दुनिया चाहे जो भी कहे
हमें नहीं है रुक जाना"

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