दुनिया चाहे जो भी कहे
पतवार तो है चलाना
बीच मझधार में
हमें नहीं है डूब जाना
कश्ती छोटी मेरी
टूटा पतवार भी
दुनिया के तानों की
आई बाढ़ भी
कल काली रात
हुई पत्थर की बरसात भी
लक्ष्य ऊंचा मेरा
पतवार तो है चलाना
दुनिया चाहे जो भी कहे
हमें नहीं है रुक जाना"
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