Wednesday, August 10, 2022

हे प्रात की शीतल हवा - Hindi poem

 हे प्रात की शीतल हवा, तू मुझमे नया साहस जगा दे
मेरे जीवन के कण कण को, तू अपने सुगंध से महका दे
सूखे पत्तों सा मै कभी गिर जाऊ, तो मुझे मंज़िल की ओर बहा दे,
मेरे हर्दय कम्पन मे तू अपनी, मधुर गीतों का राग भरा दे
मुझे लक्ष्‍य को पाना सीखा दे, संघर्ष मे टिक जाना सीखा दे
रात बीती बड़ी घनी, तू उसका दर्द भी मिटा दे

अपनों को मनाना सीखा दे,  गैरों को छोड़ जाना सीखा दे,
हे प्रात की शीतल हवा, तू मुझे जिंदगी जीना सीखा दे.

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